Thursday, September 24, 2020

Agriculture Bill and Status of Farmers - 2020



कृषि विधेयक और किसानों की स्थिति 

अवलोकन 


Agriculture Bill & Farmer's
कृषि विधेयक और किसान 

देश में किसान एक बार फिर से चर्चा में है।  केंद्र सरकार द्वारा 17 सितम्बर 2020 को लोक सभा में लाए गए दो कृषि विधेयक अध्यायदेशो , " कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य " (संवर्धन और सरलीकरण ) विधेयक , 2020  " व कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण ) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक , 2020 के पारित होने के बाद  विरोध , प्रदर्शन और नाराजगी का  दौर चल रहा है।  हालाँकि सरकार ने कुल तीन विधेयक पारित किये है , 1) एक विधेयक आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन)  बिल - 2020 15 सितम्बर को पारित हो चुका है। लोक  सभा में इन विधेयकों के पारित होने के बाद केंद्र की  NDA  सरकार के सहयोगी शिरोमणि अकाली दल की केंद्र में खाद्य एवं प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने मंत्री पद से  इस्तीफ दे दिया है।  

इसके अलावा विपक्ष में भी इस विधेयक का काफी विरोध हो रहा है। NSSO के एक सर्वे के अनुसार ,  भारत में किसानो की स्थिति यह है कि अगर आजीविका का कोई दूसरा जरिया हो तो 45 प्रतिशत किसान खेती छोड़ना पसंद करेंगे।  यह स्थिति तब है कि जब कृषि  का जीडीपी ( GDP ) में 16 प्रतिशत का और रोजगार में 49 प्रतिशत का योगदान है।   

क्या है केंद्र सरकार के कृषि विधेयक 

1)  कृषि उपज व्यापर और वाणिज्य (संवर्धनऔर सुविधा ) विधेयक 

इस अध्यादेश से किसान अपनी उपज देश में कंही भी , किसी भी व्यक्ति या संस्था को बेच सकता है।  किसान अपना उत्पाद खेत में या व्यापारिक प्लेटफार्म पर देश में कंही भी बेच सकेंगे।  यह अध्यादेश राज्य कृषि उत्पादन विपणन संघों के तहत अधिसूचित बाजारों के बाहर  अवरोध मुक्त अंतर - राजकीय व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा देता है।  

२) मूल आश्वासन पर किसान समझौता और कृषि सेवा विधेयक 

यह कदम फसल की बुवाई से पहले किसान को अपनी फसल को तय मानकों और  तय कीमत के अनुसार बेचने का अनुबंध करने की सुविधा  करता  है। इस अध्यादेश में किसान को अपनी उपज की बिक्री सीधे फ़ूड प्रोसेसर्स , थोक विक्रेता, बड़े खुदरा कारोबारिंयो , निर्यातकों आदि को करने की व्यवस्था की गई है।  

3) आवश्यक वस्तु (संशोधन ) विधेयक 2020 

आवश्यक  वस्तु (संशोधन) विधेयक , 2020  आवश्यक  वस्तुओ की सूची से अनाज , दाल , तिलहन , खाद्य तेल , प्याज और आलू जैसी वस्तुओ को हटाने के लिए लाया गया है।  इन वस्तुओ पर राष्ट्रीय आपदा या अकाल जैसी  विशेष परिस्थियों के अलावा स्टॉक के सीमा नहीं लगेगी।  कालाबाजारी को रोकने  के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम  1955 बनाया गया था।  इसमें व्यापारियों द्वारा कृषि उत्पादों के एक लिमिट से अधिक भंडारण पर रोक थी।  

देश में किसानो के पास खेती की औसत जमीन कितनी है ? 

68 फीसदी किसानो के  पास  एक हेक्टेयर से  कम ....

2018 में जारी कृषि जनगणना 2015 -16 के अनुसार देश में 68 फीसदी किसान ऐसे है जिनके पास एक हेक्टेयर से कम जमीन है।  यानी 68 फीसदी किसान सीमांत है।  वर्तमान में 86  फीसदी कृषि भूमि  सीमांत और छोटे किसानो के पास है।  दो हेक्टेयर तक के भूमि स्वामी को छोटा किसान माना  जाता है। 2030 तक 91 फीसदी जमीन छोटे और सीमांत किसानो के पास होगी।  

किसानी में लगे कितने लोगो के पास खुद की जमीन नहीं है ?

सरकार  के पास नहीं है इसका पुख्ता आकड़ा....

देश में कितने किसानो के पास खुद की जमीन नहीं है इसका कोई पुख्ता आकड़ा सरकार के पास नहीं है।  केंद्र सरकार ने प्रधान मंत्री किसान निधि के लिए 14.5 करोड़ किसान परिवारों की संख्या मानी  है , लेकिन इसमें से केवल 9 करोड़ परिवार ही चिन्हित हो पाए है।  हाल ही में दिए गए एक प्रश्न के जवाब में मंत्री नरेंद्र तोमर भी इस संबंध में कोई आकड़ा नहीं दे पाए है।  

देश में किसानो पर कर्ज की स्थिति क्या है ?

52.5% कृषक परिवार कर्ज में , प्रति व्यक्ति एक लाख से ज्यादा कर्ज ....

16 अगस्त -2019 , को नाबार्ड द्वारा जारी अखिल भारतीय ग्रामीण वित्तीय समावेश सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक देश में 52.5% कृषक परिवार कर्ज के दायरे में है।  हर एक व्यक्ति पर औसतन एक लाख से ज्यादा का कर्ज है।  नाबार्ड ने इस रिपोर्ट को 2015-16 के दौरान 245 जिलों के 2016 गाँवो के 40,327 परिवारों के बीच सर्वे कर तैयार किया है।  

देश में किसानो की आत्महत्या की स्थिति और कारण क्या  है ? 

13 लाख में 3.5 लाख  से अधिक किसानो ने की आत्महत्या 

NCRB के मुताबिक  1995 से 2018 के बीच 3,53,802 किसानो ने आत्महत्या की है।  आर्गेनाईजेशन ऑफ़ इकनोमिक कॉर्पोरेशन एंड डेवलपमेंट और इंडियन कॉउन्सिल ऑफ़ रिसर्च ऑन  इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशन्स के अनुसार 2000-01 के बीच किसानो को उचित मूल्य नहीं मिलने पर 45 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है।   

मोदी सरकार द्वारा कृषि सुधारो के  लिए उठाए गए प्रमुख कदम 

 ई - नेम 

ई - नेम  भारतीय कृषि बाजार को जुटाने के लिए एक योजना है।  परन्तु तकनिकी ज्ञान से पिछड़ रहे भारतीय किसानो को इसका फायदा पर्याप्त नहीं मिल सका।  2017 तक इस पोर्टल के अंतर्गत लगभग 45.4 लाख किसान और 417 मंडिया ही पंजीकृत हुई है।  जबकि देश में 13 करोड़ से अधिक किसान है।  

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 

1 जुलाई 2015 को इसका शुभारंभ किया गया।  इसके अंतर्गत 5 वर्ष के लिए 50000 करोड़ का बजट रखा गया। आर्थिक सर्वेक्षण  2017- 2018 के अनुसार भारत में कुल 14.2 करोड़ हेक्टेयर जमीन के 52.2 % हिस्से को अनियमित सिंचाई और बरसात पर निर्भर होना पड़ता है।  

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना 

2016 में यह योजना शुरू की गई।  प्राकृतिक आपदाओ की स्थिति में किसानो को हुए नुक़्सानो की भरपाई के लिए इसे शुरू किया गया। वर्ष 2016 - 2017 में इसके अंतर्गत कुल 5.80 करोड़ किसानो ने पंजीकरण कराया था लेकिन , 2017 - 2018  में यह संख्या घटकर 4.70 करोड़ हो गई।  

प्रधानमंत्री कृषि सम्मान योजना 

इसके घोषणा वर्ष 2019 के अंतरिम बजट में की गई थी।  सरकार ने छोटे और सीमांत किसानो को 6000 रूपये नकटी स्थांनांतरण की घोषणा की थी।  2019 ने दोबारा केंद्र की सरकार बनने पर प्रधानमंत्री मोदी ने इस योजना के दायरे को बढ़ाते हुए हर किसान को शामिल किया है।  

If you want to know more about this Bill , see this video :-

Farm Bills 2020

Farm Bills 2020, MSP

Farm Bills 2020

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