Tuesday, February 25, 2020

ANTI FREEZING IN WATER CARBON DIOXIDE CO2

   ANTI FREEZING IN WATER CARBON DIOXIDE CO2

1-SOME DESCRIPTION-

कार्बन के दो अकार्बनिक, अॉक्साइड कार्बन डाइअॉक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड हैं, जो गैसीय अवस्था में पाये जाते हैं। इनमें से कार्बन डाइअॉक्साइड के बारे में ही ज्यादा चर्चा होने के कारण इसी गैस से जनसाधारण का अधिक परिचय है। कार्बन मोनोऑक्साइड को एक विषैली गैस के रूप में ही जाना जाता है। यह गैस जब हमारे शरीर में पहुँचती है तो रक्त के हीमोग्लोबिन से रासायनिक संयोग कर कार्बोक्सिहीमोग्लोबिन नामक संकुल (कॉम्पलैक्स) बनाती है यह संकुल लाल रक्त कणिकाओं की अॉक्सीजन वहन करने की क्षमता को बाधित करता है। कार्बन मोनोऑक्साइड का प्रभाव अगर बहुत देर तक बना रहा तो इससे व्यक्ति की मृत्यु तक हो सकती है। लेकिन, इस खतरनाक रूप के अलावा कार्बन मोनोऑक्साइड के कुछ विशिष्ट अनुप्रयोग भी हैं।

ANTIFREEZE WATER CO2
FREEZE WATER CO2


2-कार्बन मोनोऑक्साइड के अनुप्रयोग-

प्रोड्यूसर एवं वॉटर गैस के रूप में कार्बन मोनोऑक्साइड गैस एक औद्योगिक ईंधन का काम करती हैं। प्रोड्यूसर गैस में 25 प्रतिशत कार्बन मोनोऑक्साइड होती है। इसके अलावा इसमें 4 प्रतिशत कार्बन डाइअॉक्साइड तथा 70 प्रतिशत नाइड्रोजन होती है। प्रोड्यूसर गैस में अल्प अंश में हाइड्रोजन, मिथेन तथा अॉक्सीजन गैसें भी मौजूद होती हैं। वाटर गैस भी एक औद्योगिक ईंधन का काम करती है। इसमें 40 प्रतिशत कार्बन मोनोऑक्साइड, 50 प्रतिशत हाइड्रोजन 5 प्रतिशत कार्बन डाइअॉक्साइड तथा 5 प्रतिशत नाइट्रोजन एवं मिथेन गैसें मौजूद होती हैं।

कार्बन मोनोऑक्साइड का उपयोग मेथेनॉल के विनिर्माण तथा फॉस्जीन, जिसका रंजक उद्योग में इस्तेमाल होता है, को बचने के लिये किया जाता है। इसके अलावा कुछ धातुकर्मीय प्रक्रियाओं में एक अपचायक (रिड्यूसिंग एजेंट) के रूप में कार्बन मोनोऑक्साइड के उपयोग हैं मॉन्ड्स प्रक्रम में निकेत के निष्कर्षण एवं शुद्धिकरण में भी इस गैस के उपयोग हैं। इस प्रकार विषैली समझी जाने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड गैस के भी ढेरों रासायनिक अनुप्रयोग हैं।
FREEZE WATER CO2
FREEZE WATER CO2

3-कार्बन डाइअॉक्साइड गुणधर्म एवं उपयोग-

कार्बन डाइअॉक्साइड एक रंगहीन गैस है जो वायु से करीब डेढ़ गुना भारी है। यह जल में घुलनशील होती है। 15 डिग्री सेल्सियस तापमान पर एक आयतन जल में करीब एक आयतन कार्बन डाइअॉक्साइड घुल सकती है। ठंडे पेय पदार्थों या सोडा की बोतलों में उच्च दाब पर कार्बन डाइअॉक्साइड गैस ही भरी होती है। इसमें थोड़ी मात्रा में पोटेशियम बाइकार्बोनेट भी मिलाया जाता है।

कार्बन डाइअॉक्साइड एक महत्त्वपूर्ण जैव अणु है तथा पौधों एवं प्राणधारियों के बीच सन्तुलन को बनाए रखती है। प्राणी कार्बन डाइअॉक्साइड गैस छोड़ते हैं जिसको पौधे ग्रहण करके कार्बोहाइड्रेट्स में बदलते हैं।

साँस द्वारा अॉक्सीजन लेकर हम मनुष्य भी कार्बन डाइअॉक्साइड को बाहर छोड़ते हैं। वायुमण्डल में प्राकृतिक तौर पर 0.03 प्रतिशत कार्बन डाइअॉक्साइड मौजूद होती है। लेकिन, साँस द्वारा जिस कार्बन डाइअॉक्साइड को हम छोड़ते हैं वह करीब 4 प्रतिशत होती है। निस्सन्देह, हमारे फेफड़ों को कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर फेंकने में काफी मेहनत करनी पड़ती है। लेकिन, 4 प्रतिशत जितनी कार्बन डाइअॉक्साइड को बाहर फेंकने की इनमें पूर्ण क्षमता मौजूद होती है। हालांकि कार्बन मोनोऑक्साइड के बरक्स कार्बन डाइअॉक्साइड विषैली नहीं है, लेकिन शरीर में अधिक परिमाण में इसकी उपस्थिति अॉक्सीहीमोग्लोबिन संकुल यानी अॉक्सीजन और हीमोग्लोबिन के बन्धन को कमजोर कर देती है। फलतः अॉक्सीजन की अनुपलब्धता के कारण व्यक्ति की श्वासवरोध से मृत्यु तक हो सकती है।
freeze water co2
FREEZE Water co2

4-कार्बन डाइअॉक्साइड का एक अन्य महत्त्वपूर्ण गुण धर्म भी है-

 यह सूर्य से आने वाली अवरक्त (इन्फ्रारैड) विकिरणों का अवशोषण करती है। उल्लेखनीय है कि वायुमण्डल में मौजूद नाइट्रोजन तथा अॉक्सीजन में दोनों ही गैसें अवरक्त विकिरणों को अवशोषित करने की क्षमता नहीं रखती हैं। वायुमण्डल में कार्बन डाइअॉक्साइड की मात्रा ही पृथ्वी द्वारा (सूर्य से प्राप्त) ऊष्मा तथा इसके द्वारा उत्सर्जित होने वाली ऊष्मा का निर्धारण करती है। कार्बन डाइअॉक्साइड का अधिक सान्द्रण पृथ्वी के ऊष्मा बजट के सन्तुलन को बिगाड़ कर पृथ्वी के बढ़ते तापमान यानी ग्लोबल वार्मिंग की परिघटना को जन्म देता है। इस प्रकार अपने बढ़ते सान्द्रण के कारण कार्बन डाइअॉक्साइड एक ग्रीनहाउस गैस के रूप में कार्य कर पृथ्वी के तापमान को बढ़ाने में अपना योगदान देती है। यह कार्बन डाइअॉक्साइड का एक नकारात्मक पक्ष ही है।
                                                                                                   
                                                                                                    कार्बन डाइअॉक्साइड के काफी यौगिक एवं अन्य अनुप्रयोग भी हैं। अग्निशामकों में इसे आग बुझाने के काम में लाया जाता है। ठोस कार्बन डाइअॉक्साइड, जिसे ‘ड्राई आइस’ कहते हैं, की खाद्य पदार्थों एवं दवाओं आदि को संरक्षित रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका है। बादलों के कृत्रिम बीजायन (आर्टिफिशियल सीडिंग अॉफ क्लाउड्स) में भी ड्राई आइस का इस्तेमाल किया जाता है। इसे अलावा श्वेत लेड, सोडियम कार्बोनेट के विनिर्माण तथा यूरिया के विनिर्माण में भी बड़े परिमाण में कार्बन डाइअॉक्साइड का उपयोग किया जाता है। आइए, अब ड्राई आइस के बारे में जरा विस्तार से जानते हैं।


dry water ice co2
dry ice co2

5-ड्राई आइस CO2-

ड्राई आइस का तापमान अति निम्न-78.5 डिग्री सेल्सियस होता है। खाद्य पदार्थों के संरक्षण में बर्फ की तुलना में इसे बेहतर माना जाता है। क्योंकि ड्राई आइस ऊर्ध्वपातन के अपने गुणधर्म के कारण सीधे ही कार्बन डाइअॉक्साइड गैस में बदलती है जबकि बर्फ गलकर पानी में बदलता है। आखिर, कार्बन डाइऑक्साइड गैस से ड्राई आइस बनती कैसे है? इसके लिये कार्बन डाइअॉक्साइड गैस पर बहुत उच्च दाब लगाकर इसे संपीडित करना होता है। इससे कार्बन डाइअॉक्साइड का द्रवण होता है। और वह द्रव के रूप में आ जाती है। अग्निशामकों में उच्च दाब पर द्रव कार्बन डाइअॉक्साइड ही भरी होती है। जब यह द्रव कार्बन डाइअॉक्साइड निर्मुक्त होती है तो तेजी से इसका प्रसरण होता है और फिर इसका वाष्पन होता है जिससे थोड़े द्रव कार्बन डाइअॉक्साइड का ताप-78.5 डिग्री सेल्सियस हो जाता है। इस प्रकार सूखी बर्फ (जो ठोस कार्बन डाइअॉक्साइड होती है) या ‘ड्राई आइस’ बनती है।

6-BEFORE USING IT WE SHOULD TAKE SOME PRECAUTIONS-

ड्राई आइस के इस्तेमाल में सावधानी बरते जाने की आवश्यकता है। हाथों में मोटे दस्ताने पहन कर ही इसे छूना चाहिए, अन्यथा त्वचा को गहरी क्षति पहुँच सकती है। इसे देखने और खाने से भी परहेज करना चाहिए।

ड्राई आइस के इस्तेमाल में एक और सावधानी भी जरूरी है। जहाँ ड्राई आइस रखी हो उस कमरे में वेंटिलेसन आदि की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। इसका कारण यह है कि ऊर्ध्वपातन द्वारा यह सीधे कार्बन डाइअॉक्साइड गैस में बदलती है। और वायु से हल्की होने के कारण इस गैस का जमाव बन्द कमरों में हो सकता है। यही बाद बन्द वाहनों या बन्द कारों के लिये भी लागू होती है। इसलिये बन्द वाहनों या कारों में इसे लाना ले जाना नहीं चाहिए।

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